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मुहर्रम Muharram Sharif पर छोटी से मालूमात In Hindi

Muharram Sharif मुहर्रम शरीफ की मजालिस का सिलसिला . साल - बसला बढ़ता ही जा रहा है कि अब शहरों के अलावा देहातों में भी इस तरह के प्रोग्राम आम होते जा

मुहर्रम Muharram Sharif पर छोटी से मालूमात In Hindi

Muharram Sharif  मुहर्रम शरीफ की मजालिस का सिलसिला . साल - बसला बढ़ता ही जा रहा है कि अब शहरों के अलावा देहातों में भी इस तरह के प्रोग्राम आम होते जा रहे हैं जिन में बारह रोज़ मुसलसल एक ही स्टेज पर बयान करने के लिय नए मुकर्रिरीन को सख्त दुश्वारियां पेश आ रही हैं । 

इस लिये अरसे से एक ऐसी किताब की शदीद ज़रूरत महसूस की जा रही थी जो मुस्तनद रिवायात पर मुश्तमिल होने के साथ बारह वज़ों का मज्मूआ हो ताकि मुर्रिरीन गैर मोअतबर रिवायात बयान करने से बचें और बारह रोज़ मुसलसल वज़ कहने पर आसानी के साथ कादिर हो सकें । 


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और साथ ही सरकारे अक्दस सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम , खुलफाए अरबा , हज़रत अमीर मुआविया , हज़रत इमाम हसन Hazrat Imam Hasan और सय्यिदुश - शुहदा हज़रत इमाम हसन Hazrat Imam Hussain रज़ियल्लाहु तआला अन्हुम अज्मईन पर बद - मज़हबों की तरफ से किये गए एतराज़ात के मुदल्लल भी हों ताकि अवाम और बाज़ ख्वास भी जो इन हज़रात की जानिब से गलत फहमी में मुब्तला कर दिये गए हैं 

वह गुमराह होने से बचें और अपनी आक़िबत को बरबाद होने से बचायें । इन ज़रूरतों के पेशे नज़र हम ने कलम उठाया , दसै - तदरीस और दीगर ज़रूरी कामों से वक़्त निकाल कर थोड़ा - थोड़ा लिखा यहां तक कि अल्हम्दु लिल्लाह किताब मुकम्मल हो गई और किताबत वगैरा की बड़ी बड़ी परेशानियों से गुज़रने के बाद ज़ेवरे तबा से आरास्ता होकर आप के हाथों में पहुंची । 


मुहर्रम Muharram पर जरुरी मालूमात In Hindi

अगरचे मैं इस तरह की किताब लिखने का अहल नहीं था इस लिये कि तक्रीरी किताब लिखने के लिये मुसन्निफ को अदीब होना चाहिये और मुफ्ती उमूमन अदीब नहीं होते । 

फत्वा नवीसी में अदबी अल्फाज़ से एहतराज़ करते हैं इस तरह मा - फिज़्ज़मीर को मुख़्तसर और जामेञ् अल्फाज़ में अदा करने के आदी हो जाते हैं ।


लेकिन जो लोग कि इसके अहल हैं जब उन्हों ने इस तरफ तवज्जोह नहीं की तो हमें मजबूरन इस के लिये कलम उठाना पड़ा । और किसी तरह किताब मुकम्मल करके हम ने कौम के सामने पेश कर दिया । लिहाज़ा जो लोग अदबी अल्फाज़ या बाज़ारी बातों के शाइक हैं 

उनकी तिश्नगी इस किताब से दूर न होगी । सिर्फ ठोस मज़ामीन और मुस्तनद रिवायात व वाकिआत . तलाश करने वालों के लिये बेइन्तिहा मुफीद साबित होगी और हत्तल इम्कान मुशकिल अल्फाज़ लिखने से भी बचने की कोशिश की गई है ताकि औरतें और कम पढ़े लिखे लोग भी ज़्यादा से ज़्यादा इस किताब से फायदा उठा सकें । (Shahadat Meaning)


मुहर्रम Muharram पर जरुरी मालूमात In Hindi

किताब के आखिर में हम ने अपने हालात भी दर्ज कर दिये हैं जो बहुत सी मुफीद मज़हबी और दीनी मालूमात पर मुशतमिल हैं । उनका भी ज़रूर मुतालआ करें । 

नबी के अलावा दुनिया कोई बड़ा से बड़ा इल्म वाला ऐसा नहीं हुआ है कि जिसे बोलने या लिखने में कहीं लग़ज़िश न हुई हो तो बहुत मुमकिन है कि इस किताब की तरतीब में कहीं हमारा कलम भी बहक गया हो । 


इस लिये अहले इल्म से गुज़ारिंश है कि अगर इस में कोई गलत बात नज़र आए तो लोगों में इस किताब की अहमियत न घटायें बल्कि बज़रिये तहरीर हम को मुत्तला करें ताकि नए एडीशन में उसकी तस्हीह कर दी जाए । 

अज़ीज़े गिरामी हज़रत मौलाना गुलाम अब्दुल कादिर साहब अलवी साहिबज़ादा शुऐबुल औलिया हज़रत शाह मुहम्मद यार अली साहब किल्ला रहमतुल्लाहि तआला अलैह ने इस किताब का अक्सर हिस्सा पढ़ा और मुफीद मशवरा दिया । 


और जनाब मौलाना काज़ी अताउल हक़ साहब उस्मानी गौंडवी की याद देहानी से किताब में बाज़ अहम मज़ामीन का इज़ाफा हुआ । और मौलवी मुहम्मद शमीम बढ़यावी फाज़िल फैजुर रसूल ने बाज़ किताबें फराहम की जो इस मज्मू की तस्नीफ में बहुत मुआविन : लेकिन जो लोग कि इसके अहल हैं 

जब उन्हों ने इस तरफ तवज्जोह नहीं की तो हमें मजबूरन इस के लिये कलम उठाना पड़ा । और किसी तरह किताब मुकम्मल करके हम ने क़ौम के सामने पेश कर दिया । लिहाज़ा जो लोग अदबी अल्फाज़ या बाज़ारी बातों के शाइक हैं उनकी तिश्नगी इस किताब से दूर न होगी । 


सिर्फ ठोस मज़ामीन और मुस्तनद रिवायात व वाकिआत . तलाश करने वालों के लिये बेइन्तिहा मुफीद साबित होगी और हत्तल इम्कान मुशकिल अल्फाज़ लिखने से भी बचने की कोशिश की गई है ताकि औरतें और कम पढ़े लिखे लोग भी ज़्यादा से ज़्यादा इस किताब से फायदा उठा सकें । 

किताब के आखिर में हम ने अपने हालात भी दर्ज कर दिये हैं जो बहुत सी मुफीद मज़हबी और दीनी मालूमात पर मुशतमिल हैं । उनका भी ज़रूर मुतालआ करें । नबी के अलावा दुनिया में कोई बड़ा से बड़ा इल्म वाला ऐसा नहीं हुआ है कि जिसे बोलने या लिखने में कहीं लग़ज़िश न हुई हो तो बहुत मुमकिन है कि इस किताब की तरतीब में कहीं हमारा कलम भी बहक गया हो । 


इस लिये अहले इल्म से गुज़ारिश है कि अगर इस में कोई गलत बात नज़र आए तो लोगों में इस किताब की अहमियत न घटायें बल्कि बज़रिये तहरीर हम को मुत्तला करें ताकि नए एडीशन में उसकी तस्हीह कर दी जाए । 

अज़ीजे गिरामी हज़रत मौलाना गुलाम अब्दुल कादिर साहब अलवी साहिबज़ादा शुऐबुल औलिया हज़रत शाह मुहम्मद यार अली साहब किब्ला रहमतुल्लाहि तआला अलैह ने इस किताब का अक्सर हिस्सा पढ़ा और मुफीद मशवरा दिया । 


और जनाब मौलाना काज़ी अताउल हक साहब उस्मानी गौंडवी की याद देहानी से किताब में बाज़ अहम मज़ामीन का इज़ाफा हुआ । और मौलवी मुहम्मद शमीम बढ़यावी फाज़िल फैजुर रसूल ने बाज़ किताबें फराहम की जो इस मज्मूले की तस्नीफ में बहुत मुआविन साबित हुई ।


खुदाए अज्ज व जल्ल इन सब के इल्म व अमल में रोज़ अफ्जूं तरक्की अता फरमाए और खुलूस के साथ दीने मतीन की बेश अज़ बेश ख़िदमत की तौफीके रफीक बख़्शे । और दुआ है कि अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त इस किताब से अहले सुन्नत व जमाअत को तकवियत बख़्शे । 

Muharram आख़िरी दम तक खुलूस के साथ दीन की ख़िदमतें लेता रहे , हमारी औलाद को भी इस्लाम व सुन्नियत की नशर व इशाअत का सही जज़्बा अता फरमाए , ईमान पर हमारा ख़ातिमा हो , कियामत की हवलनाकियों से महफूज़ रखे और हुजूर पुर नूर शाफेए यौमुन नुशूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि व सल्लम की शफाअत नसीब फरमाए । आमीन 



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